Sunday, March 25, 2012

Moving from Patiala to Chandigarh

Time has come for me to move from Patiala to Chandigarh. Still associated with Lakshya but moving to Chandigarh. Three long years have gone by. Thinking about the last working day spent at Lakshya, Patiala. Scribbled a few lines:

इस मुकाम पर आ पहुंचे हैं हम,
जब लगता था कि कोई होगा नहीं साथ,
क्या उम्मीद थी कि कोई गर्मजोशी से मिलाएगा हाथ.

आज जब घर से चल पड़े हम,
आँखें थी नम, दिल बड़ा कमज़ोर था,
सोच रहा था जहा बसाई दुनिया मैंने,
क्यों वहीं से आगे बढ़ चला था.

जब मेरे जाने का वक़्त आया,
कुछ ने बड़े ही सर्द होकर हमसे रुखसत ली,
और कुछ ने हमें गले से लगाया और कहा,
शुरुआत इतनी हसीं नहीं थी पर अब क्यों जाते हो,
जब दिल से दिल दोस्त बने, क्यों अकेला कर जाते हो,
मैं मुस्कुराया, कोशिश थी आँखें नम न हो,
किसी को मेरी कमज़ोरियों का इल्म न हो.

एक और साथी से तो मिल भी ना सका,
बेखबर ही मैं बिना उसकी दुआओं के बगैर आगे बढ़ चला,
दुआ करूंगा कि मेरे साथ मेरे दोस्तों का साथ हमेशा रहे,
अकेले ही रह जाउँ दीवारों और सिक्कों के साथ, ऐसी फ़तेह मुझे कभी ना मिले.

1 comment:

Lucky Student said...

Departing is indeed a sorrowful affair